11 Mukhi Rudraksha Benefits | 11 मुखी रुद्राक्ष के फायदे – सम्पूर्ण जानकारी

शिव पुराण, स्कन्द पुराण में रुद्राक्ष का जिक्र किया जाता है जिसमे बताया गया है की रुद्राक्ष भगवान् शिव के आंसुओं के अंश हैं और इनका हिन्दू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है I शिव पुराण में 38 प्रकार के  रुद्राक्षों का जिक्र किया गया है लेकिन इन 38 में सिर्फ 1 से लेकर 21 तक के रुद्राक्षों को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है I आयुर्वेद में भी रुद्राक्षों को महत्व दिया जाता है I सभी रुद्राक्षों का अपना महत्व होता है I इन्ही में से आज हम बात करेंगे 11 Mukhi Rudraksha के बारे में I

11 मुखी रुद्राक्ष क्या होता है ? (What is 11 Mukhi Rudraksha ?)           

गोल से आकार वाले ग्यारह मुख वाले ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान् शिव का रूद्र रूप भी माना जाता है I कई मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा गया है इस ग्यारह मुखी में साक्षात् भगवान् शिव के ग्यारह रूप अहिरभुत्य, कपाली, पिंगल भाव, भीम,शास्त्र, शुम्भ, विरुपाक्ष, विलोहित और हनुमान जी विराजमान हैं I हनुमान जी को भगवान् शिव का ग्यारहवां रूप कहा जाता है I तो इस रुद्राक्ष का सीधा सम्बन्ध हनुमान जी और मंगल ग्रह वालों से होता है I

इंद्र देव का भी आशीर्वाद इस रुद्राक्ष को धारण करने वालों पर बना रहता है I हनुमान जी के बल की तरह ही यह रुद्राक्ष भी एक शक्तिशाली रुद्राक्ष है जिस पर भगवान् शिव और हनुमान जी की किरपा बनी रहती है I इसे धारण करने वाले मनुष्य पर हनुमान जी की विशेष किरपा रहती है I साढ़े सती के दोष को कम करने में भी यह रुद्राक्ष मदद करता है इसलिए यह शनि ग्रह को भी मजबूत बनाता है I

11 मुखी रुद्राक्ष के महत्तव – (Importance of 11 Mukhi Rudraksha)

रुद्राक्ष हमारे सुरक्षा कवच का काम करता है, जो हमें उर्जावान बनाता है और हमें नकरात्मक उर्जाओं से दूर रखता है अर्थात हमें नकारात्मक उर्जाओं से बचाता है I कहा जाता है की जब मनुष्य गुस्सैल और चिडचिडा बन जाता है तो उसकी कुंडली में मंगल दोष लग जाता है या मंगल ग्रह ख़राब होता है तो उसे ज्योतिष द्वारा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह दी जाती है जिससे की उसका गुस्सा कण्ट्रोल में रहे I

ऐसे व्यक्तियों की विवाह में भी अड़चन आती है तो इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए  उस व्यक्ति को ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है I इसे धारण करने वाले व्यक्तियों में किसी भी क्षेत्र में किसी भी चीज का नेतृत्व करने की क्षमता होती है. इसे पहनने वाला व्यक्ति हमेशा विजय पथ पर रहता है I इसे धारण करने से नाम के साथ साथ इन्सान साहसी भी बनता है I इसे पहनने वाले मनुष्य को इससे सुख शांति और भौतिक सुविधाएं मिलती हैं I

11 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 11 Mukhi Rudraksha)

  • यह घर में चल रहे किसी भी कलेश, संकट को शांत करने में सक्षम माना जाता है I
  • अगर घर में किसी को भूत प्रेत आत्माओं का भय है या आप बस डर के माहोल के बारे में सोच रहे हो इसकी पूजा नियमित रूप से करके इसका लाभ मिलता है I
  • इसे धारण करने से मनुष्य की शक्ति और साहस में वृद्धि देखी जाती है ,यह मनुष्य को शक्तिशाली बनाता है I
  • मंगल ग्रह कमजोर है तो मंगल दोष को खत्म करता है I
  • यह तांत्रिक प्रभावों को कम करता है I
  • अगर किसी महिला को संतान प्राप्ति नहीं हो रही है तो उस महिला को इसे धारण करने से लाभ मिलता है I
  • शनि दोष और साढ़े सती शनि दोष को दूर करता है I
  • निडर बनाता है I
  • मनुष्य को बुद्धिवान बनाता है I
  • यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सक्षम बनाता है I
  • क्रोध पर नियंत्रण और मनुष्य को शांत बनाने का काम करता है I
  • मनुष्य की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करता है I
  • जीवन में आगे बढ़ने के लिए निडर बनाता है I
  • बच्चों से सम्बंधित समस्याओं को दूर करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण किया जाता है I
  • यह पेट, हृदय, लिवर, संबंधी रोगों के उपचार में उपयोगी सिद्ध होता है I 

11 मुखी रुद्राक्ष कैसे पहचाने ?

1 से लाकर २१ मुखी तक के रुद्राक्षों की अपनी अपनी पहचान है और इन्हें धारण करने के लिए सभी रुद्राक्षों को शरीर के एक ही अंग में नहीं धारण किया जाता है I कई रुद्राक्ष गले में तो कई भुजाओं में और कई हाथ की कलाइयों में पहना जाता है I १२ मुखी रुद्राक्ष की पहचान आप नीचे लिखे पॉइंट से जान सकते हो I

  • इसमें ग्यारह धारियां होती हैं I
  • रुद्राक्ष की ग्यारह धारियां स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं I अगर इसकी धारियां स्पष्ट नहीं दिखाई दी तो यह नकली रुद्राक्ष हो सकता है I
  • गर्दन और सर के चारों ओर पहना जाता है I
  • अक्सर काले और भूरे रंग का होता है I
  • यह भी अन्य रुद्राक्षों की तरह रंग नहीं छोड़ता  है . सरसों के तेल में डालने से यह अपना रंग नहीं छोड़ेगा I
  • इसके मुखों की संख्या 11 होती है I
  • रुद्राक्ष कठोर होता है I

11 मुखी रुद्राक्ष कौन पहन सकता है ?

११ मुखी रुद्राक्ष वैसे तो कोई भी पहन सकता है लेकिन मीन राशी के लोगों के लिए यह लाभकारी साबित होता है I अगर कोइ बहुत ज्यादा डरता है तो वह भी इसे धारण कर सकता है I जो लोग अपने जीवन में असफलता, पराजय का सामना करते हैं और चतुर नहीं होते हैं और जिन्हें अपने जीवन में कोई भी निर्णय लेने के कारण अपमान का सामना करना पड़ता है तो वह अपने जीवन पर लगे दोष को हटाने के लिए यह पहन सकते हैं I

व्यापारियों के लिए यह काफी ज्यादा फलदायी माना जाता है I इसे धारण करने से उन्हें धन-सम्पत्ति व समाज में मान-सम्मान भी मिलता है I जिनकी शादी नहीं हो रही है और मंगल दोष वालों के लिए यह सबसे ज्यादा लाभकारी सिद्ध होता है I

11 मुखी रुद्राक्ष धारण करने का मंत्र

जैसे हर रुद्राक्ष के महत्व अलग अलग होते हैं ठीक वैसे ही हर हर रुद्राक्ष को धारण करने के मन्त्र भी अलग अलग होते हैं I ११ मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के लिए भी हमें इसके मन्त्र का उच्चारण या जप करके इसे धारण करना चाहिए I हमें शिव पुराण के अनुसार ॐ ह्रीं हुं नमः, मंत्र महार्णव के अनुसार- ऊँ श्रीं नमः, पद्मपुराण के अनुसार- ऊँ श्रीं और इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ का जप करके इसे धारण करना चाहिए I

11 मुखी रुद्राक्ष कब और किस समय धारण करें ?

कहा जाता है की सोमवार का दिन ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के लिए सबसे शुभ होता है लेकिन शिव भगवान् के ग्यारहवें रूप हनुमान जी की किरपा होने से इसे मंगलवार को भी धारण कर सकते हैं I इसे पञ्च मुखी रुद्राक्ष की माला में भी लगाकर धारण किया जा सकता है बस ध्यान ये रखा जाना चाहिए है की इसे धारण करने से पहले किसी ज्योतिष से इसकी विधिवत पूजा की जाए I इसे गंगाजल से स्नान करवाकर इसमें चन्दन लगाकर इसके मंत्रो का जप करके विधिवत तरीकों से धारण किया जाता है I

11 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम

11 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के नियम निम्न प्रकार से हैं –

  • स्नान करने से पहले इसे उतार देना चाहिए I
  • रात्रि के समय सोने से पहले इसे निकाल देना चाहिए , इसे पहनकर नहीं सोना चाहिए I
  • इसे धारण करने के बाद अपने आस पास सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए I
  • रुद्राक्ष को पीले, लाल और सफ़ेद धागे में ही पहना जाना चाहिए I
  • इसे धारण करने के बाद मांस मदिरा का सेवन ना करे I

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